Tuesday, September 29, 2009

"इस गंगा में तो नाव चलाना दूभर "


दैनिक जागरण में आज एक रिपोर्ट छपी है , शीर्षक है "इस गंगा में तो नाव चलाना दूभर ". लेखक हरिद्वार से नरोरा (बुलंदशहर) नाव पर गंगा में भ्रमण को निकले है . लेकिन गंगा का सूरते हाल चौकाने वाला है .हरिद्वार से लेकर नरोरा (बुलंदशहर) तक चार दिन के सफ़र में हर थोडी देर के बाद नाव मिट्टी में धस जाती थी और उतर कर बीच धारा में उसे धक्का देकर थोड़े गहरे पानी में ले जाना होता था. पूरा लेख यहाँ पढ़े .

गंगा का यही हाल कमोबेश हर जगह है. बचपन में जब गंगा में नहाने जाता था पानी नीला हुआ करता था आज वो पानी मटमैला नजर आता है, कुछ साल बाद शायद , यह मटमैला पानी भी शायद ना मिले . आख़री बार जब गाँव गया था, रोज गंगा में नहाने गया , सोचा क्या पता कल नहाने लायक गंगा हो ना हो. कुछ सुंस (ganga dolphin) और मछलियाँ दिखाई दी . वही किनारे पर कुछ सियार (jackal) भी दिखे . खुशी हुई इन्हें देखकर , आज ये सुंस (ganga dolphin) और कही दिखाई नहीं दे रहे है , मेरा गाँव भाग्यशाली है . सुंस (ganga dolphin) को सरकार ने संरक्षित प्राणी करार किया है फिर भी ये विलोपन के कगार पर है.

गंगा और इसके इको सिस्टम को बचाना ही होगा, हर हाल में .

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