यह बीरपुर की जीवन रेखा है . गंगा से नहर निकालकर पुरे बीरपुर की फसल की सिचाई की जाती है . साथ ही साथ यह एक रमणीक स्थल भी है , इस डैम पर बैठकर आप गंगा मैया की पवित्र धारा का आनंद ले सकते है .
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बीरपुर डायरी एक प्रयास है अपनी जड़ो से जुड़े रहने का ,या यु ...कहे एक कोशिश है कुछ सुकून पाने की .समझ में नहीं आता कहानी कहाँ से शुरू करू ,बस स्वागत है आपका बीरपुर डायरी में .......
please....would you write on in english...we could understand what you wrote....please the picture is nice very nice but we could understand....thankz
ReplyDeleteबहुत अच्छा. सार्थक लेखन हेतु शुभकामनाएं. जारी रहें.
ReplyDelete---
Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
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ReplyDelete.
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अंतर्जाल पर आपका स्वागत है मित्र,
आप अपने इस चिठ्ठे से हिन्दी ब्लॉगजगत को और समृद्ध करेंगे...
इसी कामना के साथ,
प्रवीण शाह।
wah!asli hindustan.narayan narayan
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है आपने .. इस नए चिट्ठे के साथ ब्लाग जगत में आपका स्वागत है .. भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआपका स्वागत है
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें
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